Gunahon Tauba Karne Ka Tarika | तौबा करने का तरीका

Tauba Karne Ka Tarikain Hindi: Tauba Karne Ka Tarika (तौबा करने का तरीका) बंदा मोमिन खताकार तो हे ही, लेकिन इस्लामी तालिमात के मुताबिक बेहतरीन गुनाहगार वो है जो अपने गुनाहों को अल्लाह अल्लाह तआला से मुआफ़ करवाने के लिए हर दम फ़िक्र मंद रहता है और उसके लिए कोशिश भी करता है ताके गुनाह मिट जाए और अल्लाह उस पर राज़ी होजाए | मोमिन जब अपने गुनाहों की तरफ़ देखता है और दूसरी तरफ़ उसे अल्लाह के अज़ाब का डर भी होता है तो वो अल्लाह अल्लाह की तरफ़ मुड़ता है और नेक अमल करता है जो उसके गुनाहों का कफ़्फ़ारा बन जाते हैं |

Tauba Karne Ka Tarika

अल्लाह रब्बुल आलमीन ने अपने बंदों को मुआफ़ी पर उभारा है इरशाद है
और ईमान लाने वालों तुम सब अल्लाह की तरफ़ तौबा करो ताके तुम कामयाब होजाओ

नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम दिन मे सो बार इस्तिग्फ़ार किया करते थे |

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Tauba Ke Liye Namaz

तौबा के लिए नमाज़े तौबा शर्त नहीं है मुस्तहब है तौबा के लिए पछतावा ही काफ़ी है तौबा के लिए निदामत ही काफ़ी है | इस्तिग्फ़ार का तरीक़ा ये है के बंदा किसी ख़ास या आम गुनाह हो जाने पर शर्मिंदा हो और तौबा करने की निय्यत से वज़ू कर के दो रकअत नमाज़ अदा कर ने के बाद निहायत खुलूस दिल से अपने गुनाहों पर शर्मिंदा हो और अल्लाह तआला से माफ़ी मांगे और आइंदा इस गुनाह को छोड़ दे और न करने का इरादा कर ले तो अल्लाह तआला अपने बंदे को मुआफ़ फ़रमा देते है |

तौबा के लिए नमाज़ की दलील

आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कोई आदमी जब गुनाह करता हे फिर वज़ू करके दो रकअत नमाज़ पढ़ता हे और अल्लाह से इस्तिग्फ़ार करता हे तो अल्लाह रब्बुल आलमीन उसे मुआफ़ फ़रमा देता है (अबू दावूद 1521)

अल्लाह का फ़रमान

आप के रब का फरमान है: मुझे पुकारों मे तुम्हारी दुआ क़बूल करूंगा जो लोग तकब्बुर की बिना पर मेरी इबादत से मुंह मोड़ते है यकीनन वो ज़लील हो कर जहन्नम मे जाएंगे (गाफ़िर 60)

अल्लाह तआला ने हूद अलैहिस्सलाम के बारे मे फ़रमाया के उनहों ने अपनी क़ौम से कहा

और ए क़ौम अपने परवरदिगार से मुआफ़ी मांगो, फिर उसी के आगे तौबा करो वो तुम पर मोसला धार बारिश बरसाएगा और तुम्हारी मोजूदा ताक़त मे और इजाफ़ा करेगा तुम मुजरिमों की तरह मुंह न फेरो (हूद 52)

तौबा का हुक्म

ए ईमान वालों अल्लाह के लिए सच्ची तौबा करो (तहरीम 8)

और तौबा का ये मतलब है के छोटे बड़े तमाम गुनाहों को छोड़ कर अल्लाह तआला की तरफ़ रुजू किया जाए और चाहे अपने गुनाहों को जनता हो या न जनता हो सब से तौबा करनी ज़रूरी है | अल्लाह तआला की नेमतों पर शुक्र अदा करने मे जो कमी आए उस से भी तौबा करे | एक मुसलमान की ज़िंदगी मे अल्लाह के ज़िक्र मे आने वाली गफ़्लत से भी तौबा करे |

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