Surah Mulk in Hindi Tarjuma Ke Sath | सूरह मुल्क हिंदी में

अस्सलमु अलाइकुम दोस्तों उम्मीद है आप सब ठीक होंगे आज आप को हम Surah Mulk in Hindi मे बताएंगे | सूरह मुल्क कुरआन मजीद के 29 पारे मे है और सूरह मुल्क मक्का मुकररमा मे नाज़िल हुई | सूरह मुल्क हिंदी के साथ Surah Mulk Hindi तर्जुमा भी बतारहे है |

एक बात हम पहले पोस्ट मे भी आप को बता चुके है कि कुरआन को अरबी मे ही पढ़े अरबी नहीं जानते तो अरबी मे पढ़ना सीखें|

इस पोस्ट मे हमने सूरह मूल अरबी मे भी लिखे है सूरह को अरबी से हिन्दी मे लिखने मे बहुत धियान से लिखना होता है अलहमदुलीललाह मे हाफिज़े कुरान हु इसलिए मेने Surah Mulk Hindi मे उसतरह अल्फ़ाज़ को लिखे है जैसा अरबी में लिखा है और सूरह मुल्क की फ़ज़ीलत को भी हदीस की दलील के साथ लिखा है|

किसी भी सूरह को हिन्दी मे पढ़ने से पहले आप ज़रूर देखे कि वो सूरह हिन्दी मे बराबर अरबी के हिसाब से लिखी हुई है या नहीं | हमारी इस वैबसाइट deenigyan.com मे आप को सही अलफ़ाज़ हिन्दी के मिलेगे जो वर्ड अरबी के है वो |

सूरह मुल्क के बारे मे | Surah Mulk

सूरह नंबर 67
सूरह का नाम Surah Mulk (सूरह मूल्क)
रुकू 2 रुकू
आयात 30 आयात
सूरह मुल्क कोनसे पारे में है 29 पारे में
कहा नाज़िल हुई मक्का में

Surah Mulk in Hindi | सूरह मुल्क हिंदी में

अ-उज़ू बिल्लाही मिनश-शैतानिर-रजीम

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

  1. तबा रकल्लज़ी बि-यदिहिल मुल्कु व-हु-व अ़ला कुल्लि शैइन क़दीर
  2. अल्लज़ी ख-ल-क़ल-मौ-त वल्हया-त लि-यब्लु-वकुम अय्युकुम अहसनु अ़-मला, व-हुवल अज़ीज़ुल-ग़फ़ूर
  3. अल्लज़ी ख़-ल-क़ सब-अ़ समावातिन तिबाकन,मा तरा फ़ी ख़ल्किर्रह्मानि मिन तफावुतिन, फर्जिअ़िल-ब-स-र हल तरा मिन-फ़ुतूर
  4. सुम्मरजिअिल-ब-स-र कर्रतैनि यन्क़लिब इलैकल-ब-सरु ख़ासिअंव-व हु-व हसीर
  5. व ल–क़द ज़य्यन्नस्समाअद-दुन्या बि-मसाबी-ह व ज-अ़ल्नाहा रुजूमल-लिश्शयातीनि व अअ्तदना लहुम अ़ज़ाबस्सअ़ीर
  6. व लिल्लज़ी-न क-फ़रू बिरब्बिहिम अ़ज़ाबु जहन्नम, व बिअसलमसीर
  7. इज़ा उलक़ू फ़ीहा समिअू लहा शहीकंव वहि-य तफ़ूर
  8. तकादु त-मय्यज़ु मिनल-गै़ज़ि, कुल्लमा उल्कि-य फ़ीहा फौ़जुन स-अ-लहुम ख़-ज़-नतुहा अलम यअतिकुम नज़ीर
  9. क़ालू बला क़द जा-अना नज़ीरुन, फ़-कज़्ज़ब्ना व क़ुल्ना मा नज़्ज़लल्लाहु मिन शैइन इन अन्तुम इल्ला फ़ी ज़लालिन कबीर
  10. व का़लू लौ कुन्ना नस्मअु औ नअक़िलु मा कुन्ना फ़ी असहाबिस्सअ़ीर
  11. फ़अ-त-रफ़ू बिज़म्बिहिम फ़-सुह्क़ल-लि- अस्हाबिस-सअ़ीर
  12. इन्नल्लज़ी-न यख़्शौ-न रब्बहुम बिल्गै़बि लहुम मग्फ़ि-रतुंव-व अजरुन कबीर
  13. व असिर्रू कौ़लकुम अविज-हरू बिही, इन्नहू अ़लीमुम बिज़ातिस्सुदूर
  14. अला यअलमु मन ख़-ल-क़, व हुवल- लतीफ़ुल-ख़बीर
  15. हुवल्लज़ी ज-अ़-ल लकुमुल-अर-ज़ ज़लूलन-फम्शू फ़ी मनाक़िबिहा व कुलू मिर्रिजक़िही, व इलैहिन-नुशूर
  16. अ-अमिन्तुम मन फिस्समा-इ अंय्यख़्सि-फ़ बिकुमुल-अर-ज़ फ़-इज़ा हि-य तमूर
  17. अम अमिन्तुम मन फिस्समा-इ अंय्युर्सि-ल अ़लैकुम्-हासिबन, फ़-सतअ्लमू-न कै-फ़ नज़ीर
  18. व ल-क़द कज़्ज़-बल्लज़ी-न मिन क़ब्लिहिम-फ़कै-फ़ का-न नकीर
  19. अ-व लम यरौ इलत्तैरि फौ़क़हुम साफ्फ़ातिंव-व यक्बिज-न मा युम्सिकुहुन-न इल्लर्रह्मानु, इन्नहू बिकुल्लि शैइम-बसीर
  20. अम्मन हाज़ल्लज़ी हु-व जुन्दुल-लकुम यन्सुरुकुम मिन दूनिर्रह्मानि, इनिल-काफ़िरू-न इल्ला फ़ी गुरूर
  21. अम-मन हाज़ल्लज़ी यरजुकुकुम इन अम-स – क रिज़्क़हु बल-लज्जू फ़ी अुतुव्विंव्व-व नुफ़ूर
  22. अ-फ़मंय्यम्शी मुकिब्बन अ़ला वज्हिही अह्दा अम-मंय्यम्शी सविय्यन अ़ला सिरातिम-मुसतक़ीम
  23. कुल हुवल्लज़ी अन्श-अकुम व ज-अ़ल लकुमुस्सम-अ़ वलअब्सा-र वल-अफ़इ-द-त, क़लीलम-मा तश्कुरून
  24. कुल हुवल्लज़ी ज़-र-अकुम फ़िलअर्जि व इलैहि तुह्शरून
  25. व यकूलू-न मता हाज़ल-वअदु इन कुन्तुम सादिक़ीन
  26. कुल इन्नमल-अ़िल्मु अिन्दल्लाहि व इन्नमा अ-न नज़ीरुम-मुबीन
  27. फ़-लम्मा रऔहु जुल्फ़-तन सी-अत वुजूहुल्लज़ी-न क-फ़रू व की-ल हाज़ल्लज़ी कुन्तुम बिही तदद-अून
  28. कुल अ-रऐतुम इन अह़्ल-कनियल्लाहु व मम-मअि-य औ रहि-मना फ़-मंय्युजीरुल-काफ़िरी-न मिन अ़ज़ाबिन अलीम
  29. कुल हुवर-रह्मानु आमन्ना बिही व अ़लैहि तवक्कलना फ़-स-तअ्लमू-न मन हु-व फी ज़लालिम-मुबीन
  30. कुल अ-रऐतुम इन अस्ब-ह मा-उकुम गौरन फ़-मंय्यअतीकुम बिमा इम-मअ़ीन

Surah Mulk Hindi Translation | सूरह मुल्क हिंदी तर्जुमा

1) जिस (रब) के कब्ज़े में (सारे जहाँ की) बादशाहत है वह बहुत ही बरकत वाला है और वह हर चीज़ पर क़दिर है
2) जिसने मौत और ज़िन्दगी को पैदा किया ताकि तुम्हें आज़माए कि तुम में सबसे अच्छा अमल करने वाला कौन है और वह इज्ज़त वाला (और) बड़ा बख्शने वाला है
3) जिसने सात आसमान एक के उपर भला तुझे अल्लाह के बनाने में कोई कसर नज़र आती है तो फिर ऑंख उठाकर देख भला तुझे कोई शिग़ाफ़ नज़र आता है
4) फिर दुबारा ऑंख उठा कर देख तेरी नज़र नाकाम और थक कर तेरी तरफ़ पलट आएगी
5) और हमने नीचे वाले (पहले) आसमान को (तारों के) चिराग़ों से ज़ीनत दी है और हमने उनको शैतानों के मारने का आला बनाया और हमने उनके लिए भड़कती हुई आग का अज़ाब तय्यार कर रखा है
6) और जिन्होंने अपने रब के साथ कुफ़्र किया उनके लिए जहन्नुम का अज़ाब है और वह (बहुत) बुरा ठिकाना है
7) जब ये लोग इसमें डाले जाएँगे तो उसकी बड़ी चीख़ सुनेंगे और वह जोश मार रही होगी
8) बल्कि गोया मारे जोश के फट पड़ेगी जब उसमें (उनका) कोई गिरोह डाला जाएगा तो उनसे दारोग़ए जहन्नुम पूछेगा क्या तुम्हारे पास कोई डराने वाला पैग़म्बर नहीं आया था
9) वह कहेंगे हॉ हमारे पास डराने वाला तो ज़रूर आया था मगर हमने उसको झुठला दिया और कहा कि अल्लाह ने तो कुछ नाज़िल ही नहीं किया तुम तो बड़ी गुमराही में हो
10) और कहेंगे कि अगर (उनकी बात) सुनते या समझते तो (आज) दोज़ख़ वालों में न होते
11) ग़रज़ वह अपने गुनाह का इक़रार कर लेंगे तो दोज़ख़ियों को अल्लाह की रहमत से दूरी है
12) बेशक जो लोग अपने परवरदिगार से बिना देखे डरते हैं उनके लिए मग़फ़ीरत और बड़ा भारी अज्र है
13) और तुम अपनी बात छिपकर कहो या खुल्लम खुल्ला वह तो दिलों के भेदों तक से ख़ूब वाक़िफ़ है
14) किया वो न जाने जिसने पैदा किया खबरदार वह हर बारीकी जनता है
15) वही तो है जिसने ज़मीन को तुम्हारे लिए नरम (व हमवार) कर दिया तो उसके अतराफ़ व जवानिब में चलो फिरो और उसकी (दी हुई) रोज़ी खाओ
16) किया तुम उससे निडर हो जिसकी सल्तनत आसमान में है इस बात से बेख़ौफ़ हो कि तुमको ज़मीन में धॅसा दे फिर वह एकबारगी उलट पुलट करने लगे
17) किया तुम इस बात से बेख़ौफ हो कि जिसकी सल्तनत आसमान में है कि तुम पर पथराव भेजे तब मालूम हो जाएगा कि मेरा डराना कैसा है
18) और जो लोग उनसे पहले थे उन्होने झुठलाया था तो (देखो) कि मेरी नाख़ुशी कैसी थी
19) क्या उन लोगों ने अपने सरों पर चिड़ियों को उड़ते नहीं देखा जो परों को फैलाए रहती हैं और समेट लेती हैं कि अल्लाह के सिवा उन्हें कोई नहीं रोक सकता बेशक वह हर चीज़ को देख रहा है
20) भला अल्लाह के सिवा ऐसा कौन है जो तुम्हारी फ़ौज बनकर तुम्हारी मदद करे काफ़िर लोग तो धोखे ही में है
21) कोन एसा है जो तुम्हें रोज़ी दे अगर वह अपनी रोज़ी रोकले बलके वो सरकश और नफरत मे ढीठ बने है
22) तो किया वह जो अपने मुं के बल उनधा चले जियायदा हिदायत पर है या जो सीधे चले सीधी राव पर है
23) और तुम्हारे लिए कान और ऑंख और दिल बनाए मगर तुम तो बहुत कम शुक्र अदा करते हो
24) कह दो कि वही तो है जिसने तुमको ज़मीन में फैला दिया और उसी की तरफ उठाए जाओगे
25) और कुफ्फ़ार कहते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो ये वादा कब पूरा होगा
26) ऐ रसूल आप कह दीजिये कि इसका इल्म तो बस अल्लाह ही को है और मैं तो सिर्फ साफ़ साफ़ (डराने वाला हूँ
27) तो जब ये लोग उसे करीब से देख लेंगे काफिरों के चेहरे बिगड़ जाएँगे और उनसे कहा जाएगा ये वही है जो तुम मांगते थे
28) ऐ रसूल आप कह दीजिये भला देखो तो कि अगर अल्ला मुझको और मेरे साथियों को हलाक कर दे या हम पर रहम फरमाए तो काफ़िरों को दर्दनाक अज़ाब से कौन पनाह देगा
29) तुम कह दो कि वही अल्लाह बड़ा रहम करने वाला है जिस पर हम ईमान लाए हैं और हमने तो उसी पर भरोसा कर लिया है तो अनक़रीब तुम्हें मालूम हो जाएगा कि कौन खुली गुमराही में है
30) ऐ रसूल आप कह दीजिये कि भला देखो तो कि अगर सुबह को तुम्हारा पानी ज़मीन के अन्दर चला जाए तो कौन ऐसा है जो तुम्हारे लिए पानी का चश्मा निगाह के सामने लाए लाए

 

Surah Mulk in Arabic | सूरह मुल्क अरबी में

(1) تَبٰرَكَ ٱلَّذِىْ بِيَدِهِ ٱلْمُلْكُ وَهُوَ عَلىٰ كُلِّ شَىْءٍ قَدِيرٌ

(2) ٱلَّذِىْ خَلَقَ ٱلْمَوْتَ وَٱلْحَيٰوةَ لِيَبْلُوَكُمْ أَيُّكُمْ أَحْسَنُ عَمَلًا وَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْغَفُورُ

(3) ٱلَّذِى خَلَقَ سَبْعَ سَمٰوٰتٍ طِبَاقًا مَّا تَرٰى فِى خَلْقِ ٱلرَّحْمٰنِ مِن تَفٰوُتٍ فَٱرْجِعِ ٱلْبَصَرَ هَلْ تَرَىٰ مِن فُطُورٍ

(4) ثُمَّ ٱرْجِعِ ٱلْبَصَرَ كَرَّتَيْنِ يَنقَلِبْ إِلَيْكَ ٱلْبَصَرُ خَاسِئًا وَهُوَ حَسِيرٌ

(5) وَلَقَدْ زَيَّنَّا ٱلسَّمَآءَ ٱلدُّنْيَا بِمَصٰبِيْحَ وَجَعَلْنٰهَا رُجُومًا لِّلشَّيٰطِيْنِ وَأَعْتَدْنَا لَهُمْ عَذَابَ ٱلسَّعِيرِ

(6) وَبِئْسَ ٱلْمَصِير وَلِلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِرَبِّهِمْ عَذَابُ جَهَنَّمَ

(7) إِذَآ أُلْقُوا۟ فِيهَا سَمِعُوا۟ لَهَا شَهِيقًا وَّهِىَ تَفُورُ

(8) تَكَادُ تَمَيَّزُ مِنَ ٱلْغَيْظِ كُلَّمَآ أُلْقِىَ فِيهَا فَوْجٌ سَأَلَهُمْ خَزَنَتُهَآ أَلَمْ يَأْتِكُمْ نَذِيرٌ

(9) قَالُوا۟ بَلَىٰ قَدْ جَآءَنَا نَذِيرٌ فَكَذَّبْنَا وَقُلْنَا مَا نَزَّلَ ٱللَّهُ مِن شَىْءٍ إِنْ أَنتُمْ إِلَّا فِى ضَلٰلٍ كَبِيْرٍ

(10) وَقَالُوا۟ لَوْ كُنَّا نَسْمَعُ أَوْ نَعْقِلُ مَا كُنَّا فِىٓ أَصْحَٰبِ ٱلسَّعِيرِ

(11) فَٱعْتَرَفُوا۟ بِذَنۢبِهِمْ فَسُحْقًا لِّأَصْحٰبِ ٱلسَّعِيرِ

(12) إِنَّ ٱلَّذِينَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُم بِٱلْغَيْبِ لَهُم مَّغْفِرَةٌ وَّأَجْرٌ كَبِيرٌ

(13) وَأَسِرُّوا۟ قَوْلَكُمْ أَوِ ٱجْهَرُوا۟ بِهِ ۦٓ إِنَّهُۥ عَلِيمٌۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ

(14) أَلَا يَعْلَمُ مَنْ خَلَقَ وَهُوَ ٱللَّطِيفُ ٱلْخَبِيرُ

(15) هُوَ ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلْأَرْضَ ذَلُولًا فَٱمْشُوا۟ فِى مَنَاكِبِهَا وَكُلُوا۟ مِن رِّزْقِهِۦ وَإِلَيْهِ ٱلنُّشُورُ

(16) ءَأَمِنتُم مَّن فِى ٱلسَّمَآءِ أَن يَخْسِفَ بِكُمُ ٱلْأَرْضَ فَإِذَا هِىَ تَمُورُ

(17) أَمْ أَمِنتُم مَّن فِى ٱلسَّمَآءِ أَن يُرْسِلَ عَلَيْكُمْ حَاصِبًا فَسَتَعْلَمُونَ كَيْفَ نَذِيرِ

(18) وَلَقَدْ كَذَّبَ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ فَكَيْفَ كَانَ نَكِيرِ

(19) أَوَلَمْ يَرَوْا۟ إِلَى ٱلطَّيْرِ فَوْقَهُمْ صٰٓفّٰتٍ وَّيَقْبِضْنَ مَا يُمْسِكُهُنَّ إِلَّا ٱلرَّحْمٰنُ إِنَّهُۥ بِكُلِّ شَىْءٍۭ بَصِيرٌ

(20) أَمَّنْ هٰذَا ٱلَّذِى هُوَ جُندٌ لَّكُمْ يَنصُرُكُم مِّن دُونِ ٱلرَّحْمٰنِ إِنِ ٱلْكٰفِرُونَ إِلَّا فِى غُرُورٍ

(21) أَمَّنْ هٰذَا ٱلَّذِى يَرْزُقُكُمْ إِنْ أَمْسَكَ رِزْقَهُۥ بَل لَّجُّوا۟ فِى عُتُوٍّ وَنُفُورٍ

(22) أَفَمَن يَّمْشِىْ مُكِبًّا عَلٰى وَجْهِهِ ۦٓ أَهْدٰىٓ أَمَّن يَّمْشِىْ سَوِيًّا عَلٰى صِرٰطٍ مُّسْتَقِيمٍ

(23) قُلْ هُوَ ٱلَّذِىٓ أَنشَأَكُمْ وَجَعَلَ لَكُمُ ٱلسَّمْعَ وَٱلْأَبْصٰرَ وَٱلْأَفْـِٔدَةَ قَلِيلًا مَّا تَشْكُرُونَ

(24) قُلْ هُوَ ٱلَّذِى ذَرَأَكُمْ فِى ٱلْأَرْضِ وَإِلَيْهِ تُحْشَرُونَ

(25) وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هَٰذَا ٱلْوَعْدُ إِن كُنتُمْ صَٰدِقِينَ

(26) قُلْ إِنَّمَا ٱلْعِلْمُ عِندَ ٱللّٰهِ وَإِنَّمَآ أَنَا۠ نَذِيرٌ مُّبِينٌ

(27) فَلَمَّا رَأَوْهُ زُلْفَةً سِيٓـَٔتْ وُجُوهُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ وَقِيلَ هَٰذَا ٱلَّذِىْ كُنتُم بِهِ ۦ تَدَّعُونَ

(28) قُلْ أَرَءَيْتُمْ إِنْ أَهْلَكَنِىَ ٱللّٰهُ وَمَن مَّعِىَ أَوْ رَحِمَنَا فَمَن يُجِيرُ ٱلْكَٰفِرِينَ مِنْ عَذَابٍ أَلِيمٍ

(29) قُلْ هُوَ ٱلرَّحْمَٰنُ ءَامَنَّا بِهِ ۦ وَعَلَيْهِ تَوَكَّلْنَا فَسَتَعْلَمُونَ مَنْ هُوَ فِى ضَلٰلٍ مُّبِينٍ

(30) قُلْ أَرَءَيْتُمْ إِنْ أَصْبَحَ مَآؤُكُمْ غَوْرًا فَمَن يَأْتِيْكُم بِمَآءٍ مَّعِينٍۭ

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सूरह मुल्क की फ़ज़ीलत हदीस 1

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: पवित्र कुरान में एक सूरह है जिसमें तीस आयतें हैं जो किसी व्यक्ति के लिए तब तक सिफ़ारिश करेंगी जब तक कि उसे माफ नहीं कर दिया जाता है, और वह सूरह तबा रकल्लज़ी बि-यदिहिल मुल्कु है। (तिर्मिज़ी 2891)

इस हदीस का अर्थ और उद्देश्य यह है कि व्यक्ति को हर रात इस सूरह को पढ़ना चाहिए और इसके आदेशों का पालन करना चाहिए और इसमें मिलने वाली खबरों पर विश्वास करना चाहिए।

सूरह मुल्क की फ़ज़ीलत हदीस 2

अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि जो कोई हर रात तबा रकल्लज़ी बि-यदिहिल मुल्कु पढ़ता है, अल्लाह उसे इसके कारण कब्र के अज़ाब से बचाएगा। हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दोर मे सूरह मुल्क को बचाव करने वाली सूरह कहते थे जो कोई इसे हर रात पढ़ता है, उसने बहुत अच्छा और ज़ियादा काम किया है। (सुनन निसाइ)

यहा सूरह मुल्क की फ़ज़ीलत हदीस का अर्थ है कि यह फ़ज़ीलत उस व्यक्ति के बारे में है जो इस सूरह मुल्क को पढ़ता है

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