Surah Yaseen in Hindi Translation | सूरह यासीन हिंदी में

Surah Yaseen in Hindi: अस्सलामु अलैकुम आज के इस लेख में हम लोग सूरह यासीन के बारे में जानेंगे। Surah Yaseen Mai कितनी आयतें हैं । सूरह यासीन कोनसे पारे में हैं, और इसमें कितने रुकू है। सारी चीजों को विस्तार से जानने केलिए आप सूरह यासीन हिन्दी में । Surah Yaseen in Hindi इस लेख को पूरा पढ़े।

Yaseen Sharif in Hindi | यासीन शरीफ हिंदी में

आज के इस लेख में सूरह यासीन हिंदी में लिख रहै है । सूरह यासीन मक्की सूरह है, सूरह यासीन शरीफ क़ुरआन पाक की 36 वे नंबर की सूरह है। यासीन शरीफ आप को 22 वे पारे में मिलेगी और सूरह यासीन का कुछ हिस्सा 23 वे पारें में भी है। Surah Yaseen के अंदर कुल 83 आयात और 5 रुकू है । हम ने Surah Yaseen in Hindi में लिखा हैं । हम ने Surah Yaseen हिंदी में अरबी तलफ़्फुज़ और कहा खींचना है और कहा नहीं खींचना है इस का धियान रखते हुए लिखा है |

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Surah Yaseen in Hindi: बहतर ये है के सुरह यासीन या क़ुरआन शरीफ़ की दूसरी सूरतों को अरबी मे ही पढ़ा जाए। कूरआन पाक अरबी में पढ़ना बहुत आसान है अल्लाह हम को इसकी तौफ़ीक़ दे आमीन | हम ने आप की आसानी के लिए Surah Yaseen in Hindi Me लिखा है ताके आप इसे पढ़ सकें

Surah Yaseen in Hindi | सूरह यासीन हिंदी में

अ उज़ु बिल्लाही मिनश शयता निररजीम।

बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम।

[1] या सीन

[2] वल क़ुर-आनिल हकीम।

[3] इन्न-क लमिनल मुरसलीन।

[4] अला सिरातिम मुस्तक़ीम।

[5] तनज़ीलल अज़ीज़िर रहीम।

[6] लितुन ज़ि-र क़ौमम मा उन ज़ि-र आबाउ-हुम फ़-हुम गा-फ़ि लून।

[7] लक़द हक़्क़ल क़ौलु अला अक-स-रि-हिम फ़-हुम ला यु’मीनून।

[8] इन्ना ज-अ’लना फ़ी अ’नाक़ि-हिम अगला-लन फ़-हि-य इलल अज़क़ानि फ़-हुम मुक़-महून।

[9] व-ज-अ’लना मिम बैनि अय-दीहिम सद-दव वामिन खल-फ़ि-हिम सद-दन फ़-अग-शै-नाहुम फ़-हुम ला युब सिरून।

[10] व-स-वा उन-अ’लैहिम अ-अनज़र त-हुम अम-लम-तुन-ज़िर हुम ला-यु’मि-नून।

[11] इन्नमा तुन ज़ि-रु मनित-त-ब-अ’ज़ ज़िक-र व-खशि यर-रहमा-न बिल-गैब फ़-बश-शिरहु बिमग फ़ि-र-तिव व-अजरिन करीम।

[12] इन्ना नह-नु नु’ह यिल मौ-ता व-नक तु-बु मा क़द-दमू व-आ-सा र-हुम व-कुल-ल शै-इन अ’ह सैना-हु फ़ी-इमा-मिम-मुबीन।

[13] वज़-रिब ल-हुम म-स-लन अस-हा-बल क़र-यह इज़-जा-अहल मुरसलून।

[14] इज़ अर्सलना इलैहिमुस नैनि फ़-कज़-ज़बू हुमा फ़-अ’ज़-ज़ज़ना बि-सालि सिन फ़-क़ालू इन्ना इलैकुम मुर सलून।

[15] क़ालू मा अंतुम इल्ला ब-श-रुम-मिस लुना व-मा अन-ज़लर रहमानु मिन-शै इन अंतुम इल्ला तकज़ि बून।

[16] क़ालू रब-बुना य’लमु इन्ना इलैकुम लमुर सलून।

[17] वमा अलैना इल्लल बलागुल मुबीन।

[18] क़ालू इन्ना त-तय्यर ना बिकुम ल-इल्लम यनतहू लनर जुमन्नकुम व-ल यमस्सन-नकुम मिन्ना अ’ज़ा बुन अलीम।

[19] क़ालू ता-इरु-कुम मअ’कुम अ-इन ज़ुककिर तुम बल-अंतुम क़ौ मुम-मुस-रिफ़ून।

[20] वजा’अ मिन अक़सल मदीनति रजु लुय-यस’आ क़ा-ल याक़ौमित त-बि’उल मुर स-लीन।

[21] इत्त-तबि’ऊ मल्ला यस-अलु कुम अज-रव वहुम मुह तदून।

[22] व-मा लि-य ला-अ’बुदुल लज़ी फ़-त-रनी व इलैहि तुर जऊ’न।

[23] अ-अत-तखिज़ु मिन दूनिही आलि हतन इय-युरिद निर-रहमा-नु बि-ज़ुर रिल-ला तुगनि अ’ननी श-फ़ा-अ’तु हुम शैअव वला युनक़ि ज़ून।

[24] इननी इज़ल लफ़ी ज़लालिम मुबीन।

[25] इननी आमन-तु बि-रब्बिकुम फ़समऊ‘न।

[26] क़ीलद खुलिल जन्नह क़ाल यालैत क़ौमी य’लमून।

[27] बिमा ग-फ़-रली रब्बी व-जअ’लनी मिनल मुकरमीन।

[28] वमा अंज़ल-ना अ’ला क़ौमिही मिम ब’दिही मिन जुनदिम मिनस-समाइ वमा कुन्ना मुनज़िलीन।

[29] इंकानत इल्ला सैहतव वाहि-दतन फ़-इज़ा हुम खामिदून।

[30] या हस रतन अ’लल इ’बाद मा यअ-तीहिम मिर रसूलीन इल्ला कानू बिही यस-तह-ज़िऊन।

[31] अलम यरव कम अह-लकना क़ब-लहुम मिनल क़ु-रूनि अन्नहुम इलैहिम लायरजिऊ’न।

[32] व-इन कुल्लुल लम्मा जमी उल्लदैना मुहज़रून।

[33] व आयतुल लहु-मुल अर-ज़ुल मै-तह अहयैनाहा व-अखरजना मिनहा हब्बन फ़-मिनहु यअ’कुलून।

[34] वज अ’लना फ़ीहा जन्नातिम मिन न-खीलिव व अ’नाबिव व फ़ज-जरना फ़ीहा मिनल उ’यून।

[35] लि यअ‘कुलू मिन स-म-रिही वमा अ’मिलतहु अय-दीहिम अ-फ़ला यश-कुरून।

[36] सुब हानल लज़ी ख-ल-क़ल अज़ वा-ज कुल्लहा मिम्मा तुमबितुल अर-ज़ु व-मिन अन फ़ुसिहिम व मिम्मा ला यअ’लमून।

[37] वआ यतुल लहु मुल लै-ल नस लखु मिनहुन-नहा-र फ़-इज़ाहुम मुज़ लीमून।

[38] वश-शमसु तजरी लिमुस तक़र रिल्लहा ज़ालि-क तक़दीरूल अ’ज़ी-ज़िल अ’लीम।

[39] वल क़-म-र क़द-दरनाहु मना ज़ि-ल हत-ता आ’द कल उर जूनिल क़दीम।

[40] लश-शमसु यम-बगी लहा अंतुदरिकल क़-म-र व-लललैलु साबि क़ुन्नहार वकुल्लुन फ़ी फ़-ल-किय यसबहून।

[41] वआ-यतुल लहुम अन्ना हमलना ज़ुर-रिय य-त-हुम फ़िल फ़ुल-किल मशहून।

[42] व-खलक़ना लहुम मिम मिसलिही मा यरकबून।

[43] व इन-न-श’ नुगरिक़ हुम फ़-ला सरी-ख लहुम वला हुम युनक़ज़ून।

[44] इल्ला रह-मतम मिन्ना वमता अ’न इला हीन।

[45] व इज़ा क़ी-ल लहु मुत तक़ू मा बै-न अय दीकुम वमा खल फ़कुम ल अ’ल्लकुम तुर हमून।

[46] वमा तअ’तीहिम मिन आ-यतिम मिन आयाति रब्बिहिम इल्ला कानू अ’नहा मु’रिज़ीन।

[47] वइज़ा क़ी-ल लहुम अन-फ़िक़ू मिम्मा र-ज़-क़-कुमुल्लाह क़ालल लज़ी-न क-फ़-रू लिल्लज़ि-न आमनू अनुत इ’मु मल-लो यशा उल्लाहु अत-अ’मह इन अंतुम इल्ला फ़ी ज़लालिम मुबीन।

[48] व-यक़ूलून मता हाज़ल व’दु इनकुनतुम सादिक़ीन।

[49] मा यन-ज़ुरू-न इल्ला सै-हतव वाहि दतन त’खुज़ु हुम वहुम य-खिस्सिमून।

[50] फ़-ला यस तती ऊ’-न तवसियतव वला इला अहलिहिम यरजिऊ’न।

[51] व-नुफ़ि-ख फ़िस-सूरि फ़-इज़ाहुम मिनल अजदासि इला रब्बिहिम यन-सिलून।

[52] क़ालू यावय लना मम ब-अ’-स-ना मिम मरक़दिना हाज़ा मा व-अ’-दर रहमा-नु व-स-द-क़ल मुर-सलून।

[53] इन कानत इल्ला सै-हतव वाहि दतन फ़-इज़ा हुम जमीउ’ल लदैना मुह-ज़रून।

[54] फ़ल यौ-म लातुज़ लमु नफ़सुन शैअव वला तुज ज़व-न इल्ला मा कुनतुम तअ’मलून।

[55] इन-न असहाबल जन्नतिल यव-म फ़ी शु-गु-लिन फ़ा-किहून।

[56] हुम व-अज़ वाजुहुम फ़ी ज़िलालिन अ’लल अराइकि मुत-तकिऊन।

[57] लहुम फ़ीहा फ़ाकि-हतुव व-लहुम मा यद-दऊन।

[58] सलामुन क़व-लम मिर-रब्बिर रहीम।

[59] वम ताज़ुल यव-म अय्युहल मुजरिमून।

[60] अलम अ’हद कुम याबनी आद-म अल्ला त’बुदुश-शैतान इन्नहू लकुम अ’दुव वुम-मुबीन।

[61] व-अनि’बुदूनी हाज़ा सिरातुम मुस्तक़ीम।

[62] व-लक़द अज़ल-ल मिनकुम जिबिल्लन कसीरा अ-फ़-लम तकूनू त’क़िलून।

[63] हाज़िही जहन्नमुल लती कुनतुम तू-अ’दून।

[64] इस-लव हल यव-म बिमा कुनतुम तकफ़ुरून।

[65] अल यव-म नख-तिमु अ’ला अफ़ वाहि-हिम व तुकल्लिमुना अय-दीहिम व तश-हदु अर-जुलु हुम बिमा कानू यकसिबून।

[66] व-लव नशाउ ल-त-मसना अ’ला अ’युनिहिम फ़स त-ब-क़ुस सिरा-त फ़-अन्नायुब सिरून।

[67] व-लव नशाउ ल-म-सख नाहुम अ’ला म-का-न-तिहिम फ़-मस त-ता-ऊ’ मुज़िय यव-वला यर जिऊ’न।

[68] व मन नु-अ’म्मिर हु नुनक-किसहु फ़िल-खल्कि अ-फ़-ला य’क़िलून।

[69] व-मा अ’ल्लम-नाहुश शि’-र वमा यमबगी लह इन हु-व इल्ला ज़िकरुव-व क़ुर-आनुम मुबीन।

[70] लियुन ज़ि-र मन का-न हय्यव व-य-हिक़्क़ल क़वलु अ’लल काफ़िरीन।

[71] अ-व लम य-रव अन्ना ख-लक़ना लहुम मिम्मा अ’मिलत अयदीना अन आ’मन फ़-हुम लहा मालिकून।

[72] व-ज़ल्ल्ल-नाहा लहुम फ़-मिन-हा र-कूबु-हुम वमिन-हा य’कुलून।

[73] व-लहुम फ़ीहा मनाफ़ि-उ’ व-मशारिबु अ-फ़ला यशकुरून।

[74] वत-त-ख-ज़ू मिन दूनिल-लाहि आलि हतल ल-अ’ल्लहुम युन सरून।

[75] ला यस ततीऊ’-न नस रहुम वहुम लहुम जुनदुम मुह ज़रून।

[76] फ़-ला यह ज़ुन-क क़व-लुहुम इन्ना न’लमु मायु सिर-रू-न वमा यु’लिनून।

[77] अ-व लम यरल इंसानु अन्ना ख-लक़नाहु मिन नुत फ़-तिन फ़-इज़ा हु-व खसीमुम मुबीन।

[78] व-ज़-र-ब लना म-सलव व-नसि-य खल-क़ह क़ाल मय्युह यिल इ’ज़ा-म व-हि-य रमीम।

[79] क़ुल युह यी-हल्लज़ी अन श-अ-हा अव-वल मर्रह व-हु-व बिकुल्ली खल-क़िन अ’लीम।

[80] अल्लज़ी ज-अ’ल लकुम मिनश-श-ज-रिल अखज़रि नारन फ़-इज़ा अंतुम मिनहु तूक़िदून।

[81] अ-व लैसल लज़ी ख-ल-क़स समावाति वल अर-ज़ बिक़ादिरिन अ’ला अय-यखलु-क़ मिस-लहुम ब्ला वहुवल खल्लाक़ुल अ’लीम।

[82] इन्नमा अम-रुहू इज़ा अराद शै-अन अय-यक़ू-ल लहू कुन फ़-य-कून।

[83] फ़-सुब हानल लज़ी बि-य-दिही म-ल-कूतु कुल्लि शै-इव वइ-लैहि तुर-जऊ’न।

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अल्हमदु लिल्लाह हम ने सूरह यासीन हिन्दी में पढ़ लिये है। अब हम सूरह यासीन का हिन्दी तर्जुमा पढ़ेंगे।

Surah Yaseen Translation in Hindi | सूरह यासीन का तर्जुमा हिंदी में

पनाह मांगता हूं में अल्लाह की शैतान मरदूद से।

शुरू करता हूं में अल्लाह तआला के नाम से जो निहायत मेहरबान बड़ा रेहम करने वाला है।

[1] या सीन

[2] क़सम है क़ुरआन बाहिकमत (तत्वज्ञानपूर्ण) की।

[3] कि बेशक आप पैगम्बरों (रसूलों) में से हैं।

[4] सीधे रास्ते पर हैं।

[5] ये क़ुरआन अल्लाह ज़बरदस्त दयावान की तरफ़ से उतारा गया है।

[6] ताकि आप ऐसे लोगों को डराएं जिन के बाप दादा नहीं डराए गए थे, पस यही वजा से ये गाफ़िल (बेखबर) हैं।

[7] उनमें से अक्सर लोगों पर बात साबित हो चुकी है पस ये ईमान नहीं लाएंगे।

[8] हमने उनकी गरदनों में तोक़ डाल दिया है फ़िर वो ठोड़ियों तक हैं, जिस से उनके सर ऊपर उलट गए हैं।

[9] और हम ने एक आड़ उनके सामने करदी और एक आड़ उनके पीछे करदी जिस से हम ने उनको ढांक दिया पस वो नहीं देख सकते।

[10] और आप उनको डराएं या ना डराएं दोनों बराबर हैं, ये ईमान नहीं लाएंगे।

[11] बस आप तो सिर्फ़ ऐसे आदमी को डरा सकते हैं जो नसीहत पर चले और रहमान को बगैर देखे डरे, पस आप उसको मगफ़िरत और बा-वक़ार (आत्म सम्मान) अज्र की खुश सुचना सुना दीजिये।

[12] बेशक हम मुरदों को ज़िंदा करेंगे और हम लिखते जाते हैं और वो आमाल भी जिन को लोग आगे भेजते हैं और उनके वो आमाल भी जिनको पीछे छोड़ जाते हैं और हमने हर चीज़ को वाज़े (स्पष्ट) किताब में लिख कर रखा है।

[13] और आप उन के सामने एक उदाहरण बस्ती वालों की बयान कीजिये जब की उस बस्ती में कई रसूल आए।

[14] जब हमने उनके पास दो को भैजा पस उनलोगों ने दोनों को झुटलाया फ़िर हमने तीसरे से ताईद (पुष्टीकरण) की तो उन तीनों ने कहा कि हम तुम्हारे पास भैजे गए हैं।

[15] उन लोगों ने कहा तुम तो हमारी तरा मामूली आदमी हो और रहमान ने कोई चीज़ नहीं उतारी मगर सिर्फ़ तुम झूट बोलते हो।

[16] उन (रसूलों) ने कहा हमारा रब जानता है कि बेशक हम तुम्हारे पास भैजे गए हैं।

[17] और हमारी ज़िम्मेदारी तो स्पष्ट तोर पर पहुंचा देना है।

[18] उन्हों ने कहा कि हम तुम को मनहूस समझते हैं, अगर तुम नहीं रुके तो पत्थरों से तुम्हारा काम तमाम करदेंगे और तुमको हमारी तरफ़ से बहुत तकलीफ पहुंचेगी।

[19] उन रसूलों ने कहा कि तुम्हारी नहूसत तुम्हारे साथ ही लगी हुइ है, क्या उसको नहूसत समझते हो कि तुमको नसीहत की जाए बल्कि तुम हद से निकल जाने वाले लोग हो।

[20] और एक आदमी (उस) शहर के आखरी हिस्से से भागता हुवा आया केहने लगा कि ए मेरी क़ौम! उन रसूलों की राह (रास्ते) पर चलो।

[21] ऐसे लोगों की राह पर चलो जो तुम से कोई मुआवज़ा नहीं मांगते और वो सीधे रास्ते पर हैं।

[22] और मुझे क्या होगया है कि में उसकी इबादत नहीं करूं जिस ने मुझे पैदा क्या और तुम सब उसी की तरफ़ वापस जाओ गे।

[23] क्या में उसे छोड़ कर ऐसों को माबूद बनाऊं कि अगर अल्लाह रहमान मुझे कोई नुक़सान पहुंचाना चाहे तो उनकी सिफ़ारिश मुझे कुछ भी नफ़ा नहीं पहुंचा सके और न मुझे बचा सके।

[24] फ़िर तो पक्का खुली गुमराही में हूं।

[25] मेरी सुनो! में तो सच्चे दिलसे तुम सब के रब पर ईमान ला चुका हूं।

[26] (उससे) बोला गया कि जन्नत में चला जा, कहने लगा काश! मेरी क़ौम को भी इल्म होता।

[27] कि मुझे रब ने बख्श दिया और मुझे बा इज़्ज़त लोगों में से करदिया।

[28] उसके बाद हमने उसकी क़ौम पर आसमान से कोई लश्कर नहीं उतारा और न उस तरह हम उतारा करते हैं।

[29] वो तो सिर्फ़ एक ज़ौर की चीख थी कि अचानक वो सब बुझ कर रह गए।

[30] (ऐसे) बंदों पर अफ़सोस! कभी भी कोई रसूल उनके पास नहीं आया जिस की हसी उन्हों नें नहीं उड़ाई हो।

[31] क्या उन्हों नें नहीं देखा कि उनसे पहले बोहत सी क़ौमों को हमने हलाक करदिया कि वो उन की तरफ़ लोट कर नहीं आएंगे।

[32] और नहीं है कोई जमात मगर हर जमात को हमारे सामने हाज़िर क्या जाएगा।

[33] और उनके लिये एक निशानी (सूखी) ज़मीन है जिस को हमने ज़िनदा करदिया और उस से अनाज निकाला जिस में से वो खाते हैं।

[34] और हमने उस में खजूरों के और अंगूर के बागात पैदा कर दिए और जिन में हम ने चशमे भी जारी कर दिए हैं।

[35] ताकी (लोग) उसके फ़ल खाएं और उसको उन के हाथों ने नहीं बनाया फ़िर क्यूं शुक्र गुज़ारी नहीं करते।

[36] वो पाक ज़ात है जिस ने हर चीज़ के जोड़े पैदा कीये चाहे वो ज़मीन की उगाई हुइ चीजें हों, चाहे खुद उनकी नुफ़ूस (आत्माएं) हों चाहे वो ऐसी चीज़ें हों जिनहैं ये जानते भी नहीं।

[37] और उन के लिए एक निशानी रात है जिस से हम दिन को खींच देते हैं तो अचानक अंधेरें में रह जाते हैं।

[38] और सूरज के लिये जो निर्धारित रास्ता है वो उसी पर चलता है ये है निर्धारित करदा गालिब, बाइल्म अल्लाह तआला का।

[39] और चांद की मंज़िलें निर्धारित कर रखी हैं कि वो लोट कर पुरानी डाली की तरह होजाता है।

[40] न सूरज की ये मजाल है कि चांद को पकड़े और न रात दिन पर आगे पढ़ जाने वाली है और सब के सब आसमान में तैरते फिरते हैं।

[41] उनके लिये एक निशानी ये भी है कि हम ने उनकी नसल को भरी हुइ कश्ती में सवार किया।

[42] और उनके लिये उसी जेसी और चीज़े पैदा कीं जिन पर ये सवार होते हैं।

[43] और अगर हम चाहते तो उन्हें डुबो देते फ़िर न तो कोई उनका फ़रयाद करने वाला होता न तो बचाए जाएं।

[44] लेकिन हम अपनी तरफ़ से रहमत करते हैं और एक मुद्दत (टाइम) तक केलिए उन्हें फ़ाइदे दे रहे हैं।

[45] और उन से जब कहा जाता है कि अगले पिछले (गुनाहों) से बचो ताके तुम पर रहम किया जाए।

[46] और उन के पास तो उनके रब की निशानियों में से कोई निशानी ऐसी नहीं आती जिस से ये बेरूखी नहीं बरतते हों।

[47] और उन्से जब बोला जाता है कि अल्लाह तआला के दिए हुए में से कुछ खर्च करो, तो ये कुफ़्फ़ार ईमान वालों को जवाब देते हैं कि हम उन्हें क्यू खिलाएं जिन्हें अगर अल्लाह तआला चाहता तो खुद खिला पिला देता तुम तो होई खुली गुमराही में।

[48] वो कहते हैं कि ये वादा कब होगा, सच्चे हो तो बतलाओ।

[49] उन्हें सिर्फ़ एक चीख का इंतिज़ार है जो उन्हें आपकड़े गी और ये आपस में झगड़े में होंगे।

[50] उस टाइम न तो ये वसीयत कर सकेंगे और न अपने घर वालों की तरफ़ लोट सकेंगे।

[51] तो सूर के पूंके जाते ही सब अपनी कब्रों से अपने परवरदिगार की तरफ़ चनले लगेंगे।

[52] कहेंगे हाए हाए! हमें हमारी खुवाब गाहों से किस ने उठा दिया यही है जिस का वादा रहमान ने दिया था और रसूलों ने सच सच कहदिया था।

[53] ये नहीं है मगर एक चीख कि अचानक सारे के सारे हमारे सामने हाज़िर कर दिए जाएंगे।

[54] तो आज किसी आदमी पर कुछ भी ज़ुल्म नहीं किया जाएगा और तुमहैं उन्हें बदला दिया जाएगा, मगर सिर्फ़ उन्ही कामों का जो तुम किया करते थे।

[55] जन्नती लोग आज के दिन अपने मशगलों में खुश होंगे।

[56] वो और उनकी बीवियां सायों में तख्तों पर तक्या लगाए बैठे होंगे।

[57] उन केलिए जन्नत में हर क़िस्म के मेवे होंगे और जो कुछ भी मांगे।

[58] दयावान परवरदिगार की तरफ़ से उन्हें सलाम कहा जाएगा।

[59] ए गुनाह गारों! आज तुम अलग होजाओ।

[60] ए औलाद आदम! क्या में ने तुम से क़बूल क़रार नहीं लिया था कि तुम शैतान की इबादत न करना वो तुम्हारा खुला दुश्मन है।

[61] और मेरी इबादत करना।

[62] शैतान ने तुम में से बहुत सारी मखलूक़ को बहका दिया क्या तुम अक़ल नहीं रखते।

[63] यही वो दोज़ख है जिसका तुम्हें वादा दिया जाता था।

[64] अपने कुफ़्र् का बदला पाने केलिए आज उस में दाखिल होजाओ।

[65] हम आज के दिन उन के मुंह पर मोहर लगादेंगें और उनके हाथ हम से बातें करेंगे और उनके पाऊं गवाहियां देंगे उन कामों की जो वो करते थे।

[66] अगर हम चाहते तो उन की आंखें बेनूर कर देते फ़िर ये रास्ते की तरफ़ दोड़ते फ़िरते लेकिन उन्हें केसे दिखाई देता?

[67] और अगर हम चाहते तो उन की जगा ही पर उनकी सूरतें बिगाड़ देते फ़िर वो चल फ़िर सकते और न लोट सकते।

[68] और जिसे हम बुढ़ा करते हैं उसे पैदाइशी हालत की तरफ़ फ़िर उलट देते हैं क्या फ़िर भी वो नहीं समझते।

[69] न तो हम ने उस पैगम्बर को शेर सिखाए और न ये उसके लाइक़ है वो तो सिर्फ़ नसीहत और स्पष्ट क़ुरआन है।

[70] ताके वो हर आदमी को खबरदार करदे जो जिंदा है और काफ़िरों पर हुज्जत साबित होजाए।

[71] क्या वो नहीं देखते हमने अपने हाथों बनाई हुइ चीज़ों में से उनके लिये चोपाए (ऊंट, गाएं, बकरी और भी जानवर) पैदा कीये जिन के क्या ये मालिक होगए हैं।

[72] और उन जानवरों को हमने उनके ताबे फ़रमान (आज्ञाकार) करदिया जिन में से कुछ तो उनकी सवारियां हैं और कुछ का गौशत खाते हैं।

[73] नन्हें उन मेंसे और भी बहुत फ़ाइदे हैं और पीने की चीज़े क्या फ़िर भी ये शुक्र अदा नहीं करेंगे।

[74] और वो अल्लाह के सिवा दूसरों को माबूद बनाते हैं ताकि वो मदद कीये जाएं।

[75] हालांकि उनमें उनकी मदद की ताक़त ही नहीं, लेकिन फ़िर भी मुशरिकीन उनके लिये हाज़िर बार लष्करी हैं।

[76] तो आप को उनकी बात गमनाक न करें, हम उनकी छुपी हुइ और खुली हुइ सब बातों को अच्छी तरह जानते हैं।

[77] क्या इंसान को इतना भी मालूम नहीं कि हमने उसे नुतफ़े से पैदा दिया है फ़िर अचानक वो झगड़ालू बन बेठा।

[78] और उसने हमारे लिये मिसाल बयान की और अपने (असल) पैदाइश को भूल गया, केहने लगा उनकी गली सड़ी हड्डियों को कोन ज़िंदा कर सकता है।

[79] आप जवाब दीजिये! कि उन्हें वो ज़िंदा करेगा जिसने पहली बार पैदा किया है जो सब तरह की पैदाइश का बखूबी जानने वाला है।

[80] वोहि जिस ने तुम्हारे लिये सब्ज़ झाड़ से आग पैदा करदी जिस से तुम अचानक आग जलाते हो।

[81] जिसने आसमानों और ज़मीन को पैदा किया है क्या वो हम जेसों के पैदा करने पर क़ादिर नहीं, बेशक क़ादिर है और वहि पैदा करने वाला दाना है।

[82] वो जब कभी किसी चीज़ का इरादा करता है उसे इतना बोलना (काफ़ि है) कि होजा, तो वो उसी टाइम होजाती है।

[83] तो पाक है वो अल्लाह जिस के हाथ में हर चीज़ की बादशाहत है और जिस की तरफ़ तुम सब लोटाए जाओ गे।

Surah Yaseen in Roman English

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इस भी देखें: Ayatul Kursi in Hindi

आखरी बात: आज के इस लेख में Surah Yaseen in Hindi Text में बताई गई है। Surah Yaseen in Hindi हम लोगों ने पूरी पढ़ ली है और साथ ही यासीन शरीफ़ का हिन्दी तर्जुमा भी लिखा है। कुरआन पाक के एक हर्फ़ पढ़ने पर दस नेकी मिलती है | आप से अनुरोध है की आप हमें अपनी दुआ में याद रखै अल्लाह हमें कहने सुनने से ज़्यादा अमल की तोफ़ीक़ दे आमीन।

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