आप लोगों का हमारे इस हिंदी ब्लॉग में welcome है आज का हमारा topic है Sehri Ki Fazilat सहरी की फजीलत आज हम आप लोगों को सहरी के बारें में बताने वाले है। सबसे पहले सवाल आता है की सहरी क्या है। और सहरी कब की जाती है। क्या सहरी करना सुन्नत है। आज हम इन सारी चीजों की जानकारी आप को देंगे तो आप सारी जानकारी केलिए Sehri Khane Ki Fazilat लेख को पूरा पढ़े।
Sehri ki Fazilat | सहरी की फजीलत हिंदी में
शब्द सहरी का अर्थ: ये अरबी शब्द है जिसका अर्थ है। वो खाना जो रमज़ान में रात के आखरी हिस्से से लेकर सुबह सादिक़ तक रोज़ा रखने की नियत से खाया जाता है।
“अल्लाह तआला और उसके फ़रिश्ते सहरी करने वालौ पर अपनी रहमते नाज़िल करते है” (मुसनद अहमद 11102)
Sehri ki Fazilat हमको दूसरी हदीस से भी मलूम होती है।
“रसू लुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया सहरी खाया करो सहरी में बरकत है” (सही बुखारी 1923)
Sehri ki Fazilat Hadees
“अब्दुल्लाह बिन हारिस सारियह रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हे की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहाबा में से एक आदमी ने कहा में अल्लाह के रसूल के पास ऊस समय पहुंचा जब आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सहरी कर रहे थे आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया ये (सहरी) अल्लाह की नैमत है जो तुम्हें दी गई है, इसलिए सहरी क्या करो” (सुनन नसाई 2162)
“हमारे और अहले किताब (यहूदो नसारा) के रोज़ों में सहरी का फ़र्क़ है” (मुस्लिम 1096)
“अरबाज़ बिन सारियह रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हे की मुझे रसू लुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने रमज़ान में सहरी खाने के लिए बुलाया और यू कहा बाबरकत गिज़ा पर आओ” (अबू दावूद 2344)
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सहरी की दुआ Sehri Ki Dua
सहरी की कोई खास दुआ नहीं है सिर्फ़ नियत करना ही काफ़ी है। बिस्मिल्लाह कह कर सहरी शुरू करै।
सहरी में क्या खाए
“नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया खजूर मोमिन की कितनी अच्छी सहरी है” (अबू दावूद 2345)
सहरी में देरी करना हदीस
“रसू लुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया तुम में से कोई जब सुबह की अज़ान सुने और (खाने पीने का) बर्तन उस के हाथ में हो तो उसे अपनी ज़रूरत पूरी किए बगैर न रखे” (अबू दावूद 2350)
सहरी की सुन्नतै
- सहरी देरी से करे।
- सहरी में खजूर खाए।
- जान बूझ कर सहरी नहीं छोड़ना।
- सहरी ये आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत है।
- सहरी से अहले किताब की मुखालिफ़त होती है।
रोज़े की सुन्नतै
- रोज़ा ये फ़र्ज़ है।
- सहरी का करना।
- नमाज़ की पाबंदी करना।
- गाली गुलोच नहीं करना।
- झूट नहीं बोलना।
- लड़ाई झगड़ा नहीं करना।
- रोज़े में हलाल चीजों को खाने पीने से बचना अल्लाह के खातिर।
अंतिम बात: आज के लेख में हमने सहरी की फजीलत (Sehri ki Fazilat) हिंदी में सीखा है। और हमने सीखा Sehri से पहले बिस्मिल्लाह पढ़े। सहरी की फजीलत इस आर्टिकल को शेयर करे और दुआ में याद रखें।
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