आज हम आप को रोज़े के बारे में बताने वाले हे। जेसे रोज़ा क्या हे, Roze Ki Fazilat, रोज़ेदार की फ़ज़ीलत ये सारी बातें हम आप को हमारे इस लेख Roze Ki Fazilat in Hindi में बताने वाले है। पूरी जानकारी के लिए रोज़े की फ़ज़ीलत लेख कू पूरा ज़रूर पढ़े।
रोज़े का अर्थ रोज़े को अरबी ज़बान में सौम कहते हे जिसका अर्थ हे रुकने के।
और इस्लाम के हिसाब से जिसका मतलब है सुबह सादिक़ से लैकर सूरज के डूबने तक कुछ खाना, पीना नहीं और अपनी पत्नी से संबंध भी नहीं बनाना।
रोज़ा ये इस्लाम के पांच अर्कानो में से एक अरकान है।
Roze ki Fazilat Hadees| रोज़े की फ़ज़ीलत
- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया जिसने रमज़ान के रोज़े ईमान के साथ और सवाब की नियत से रखे उसके पिछले गुनाह माफ़ करदिए जाते है। (बुखारी 1901)
- रसू लुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया, अल्लाह तआला फ़रमाता है रोज़ा मेरे लिए है और में ही उसका बदला दूंगा। (बुखारी 1904)
- अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया रोज़ा गुनाहों कीroze ki fazilat hadees एक ढाल है। (बुखारी 1904)
- नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया किसी में निकाह करने की ताक़त न होतो उसे रोज़े रखने चाहिए क्यूंकि वो उसकी शहवत को खतम कर देता है। (बुखारी 1905)
- रोज़ेदार की मुंह की बू अल्लाह तआला के नज़दीक मुश्क की खुशबू से भी ज़्यादा अच्छी है। (बुखारी 1904)
- और जब वो अपने रब से मिलैगा तो, अपने रोज़े का सवाब प्राप्त करके खूश होगा। (बुखारी 1904)
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Roze ki Fazilat इतनी क्यू है ?
- रोज़े में दिखावे का मोका थोड़ा कम होता हे दूसरी इबादत के तुलना में।
- दूसरी इबादतों के तुलना में रोज़े में इंसान को ज़्यादा सब्र करना पड़ता हे उदाहरण के तोर पर भूक प्यास को बरदाश करना पड़ता है।
- रोज़े की फ़ज़ीलत इसलिए ज़्यादा हे कियूंकि इसको बंदा अल्लाह के लिए रखता है और इसे कोई बंदा नहीं देख सकता जबकी दूसरी इबादत बंदा जब करता है तो लोग उसको देखते है।
- अगर बंदा चाहे तो चुपके से जो चाहे खा, पी सकता हे लेकिन वो अल्लाह के डर से नहीं खाता पीता।
रोज़ेदार की फ़ज़ीलत हदीस
“नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया, जन्नत के आठ दरवाज़े हैं उनमें एक दरवाज़े का नाम रय्यान है जिस से सिर्फ़ रोज़ेदार ही जन्नत में दाखिल होगे” (बुखारी 3257)
इसमें एक बात हमको समझ लेना चाहिए जिन लोगों को रय्यान की बशारत दी गई है उनमें फ़र्ज़ रोज़ों के साथ साथ नफ़ली रोज़ों की भी पाबंदी होनी चाहिए।
फ़र्ज़ तो फ़र्ज़ हे अगर आदमी नफ़िल की भी पाबंदी करे तो ये और अच्छी बात है।
रोज़ा मुसलमानों पर फ़र्ज़ है और रोज़े का मक़सद
ए ईमान वालों तुम पर रोज़े फ़र्ज़ किए गए है जैसा के तुम से पहले लोगों पर रोज़े फ़र्ज़ किए गए थे ताकी तुम मुत्तक़ी बन जाओ। (सूरह बक़रह 183)
- रोज़े का असल मक़सद ये है की इंसान के अंदर परहैज़गारी आजाए।
- ताकी इंसान का नफ़्स पाक साफ़ हो जाए।
- लोगों में अल्लाह का डर पैदा होजाए।
- अगर किसी इंसान में अल्लाह का डर पैदा होगया फिर वो इंसान इन शा अल्लाह कभी भी गुनाह के क़रीब नहीं जाएगा।
- लोगों का माल हराम तरीक़े से नहीं लेगा।
- जिस चीज़ से दीन ने रोखा है उससे हमेशा बचे चाहे फ़िर रमज़ान हो या गैरे रमज़ान।
- रोज़ा ये एक बड़ी इबादत है इसलिए ये हर उम्मतों पर फ़र्ज़ किया गई।
- हराम व हलाल में बंदा फ़र्क़ करने लगेगा।
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रमजान में किए जाने वाले काम
- रोज़ा रखना
- सहरी करना
- इफ़तार करना
- नमाज़ की पाबंदी करना
- क़ुरआन पढ़ना
- सदक़ा वा खैरात करना
- तरावीह पढ़ना
- एतेकाफ़ करना
- शबे क़द्र में इबादत करना
- ज़्यादा से ज़्यादा अच्छे काम करना
आखरी बात: आज के लेख में हमने आप को Roze ki Fazilat in Hindi में बताई है और हमने रोज़े की फ़ज़ीलत के बारे में हादीसे भी लिखी हे उम्मीद है आप ने पूरा लेख पढ़ा होगा। क्युंकि जब तक हमको किसी चीज़ की फ़ज़ीलत मालूम नहीं होती हम ऊस अमल को हल्का समझते हैं, और कोताही करदेते हैं। लेकिन अब आपने Roze ki Fazilat को अच्छे से जान लिया है और हम उम्मीद करते हैं की अब आप रोज़ों में कोई कोताही नहीं करोंगगे। अल्लाह हम सब की इबादतों को क़बूल फरमाए। आमीन।
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