Qurbani Ki Dua in Hindi Mein | क़ुरबानी की दुआ हिंदी में

Qurbani Ki Dua in Hindi Mein: क़ुरबानी वो चीज़ है जिस के ज़रिए अल्लाह रब्बुल अलामिईन का क़ुरब हासिल किया जाए। क़ुरबानी की दुआ हिंदी में

जब क़ुरबानी (Qurbani) एक ऐसी इबादत है और दीने इस्लाम के अज़ीम शआइर में से एक शाइर क़ुरबानी है जिस में अल्लाह तआला की तौहीद और अपने ऊपर अल्लाह तआला की नेमतों और अपने बाप इब्राहिम अलैहिस्सलाम की अपने रब की इताअत फ़रमाँबरदारी की याद दिहानी करते है।

क़ुरान करीम में क़ुरबनी के हवाले से अल्लाह रब्बुल आलमीन ने इरशाद फ़रमाया:

وَلِكُلِّ أُمَّةٍ جَعَلْنَا مَنْسَكًا لِّيَذْكُرُواْ ٱسْمَ ٱللّٰهِ عَلٰى مَا رَزَقَهُم مِّنۢ بَهِيمَةِ ٱلْأَنْعٰمِ

तर्जुमा: और हम ने हर उम्मत के लिए एक क़ुरबानी मुक़र्रर फ़रमाई के अल्लाह का नाम ले, उस के दिए हुए बे ज़बान चौपाइयों पर।

(क़ुरबानी) Qurbani Ki Dua in Arabic Text | Qurbani Karne Ki Dua

بِسْمِ اللهِ ، واللهُ أكْبَرُ ، اَللّٰهُمَّ تَقَبَّلْ ھٰذَا مِنّیْ

अगर दूसरे की तरफ़ से करे तो उसका नाम ले

بِسْمِ اللهِ ، واللهُ أكْبَرُ ، اَللّٰهُمَّ تَقَبَّلْ ھٰذَا مِنْ زید

(क़ुरबानी) Qurbani Ki Dua in Hindi Mein | क़ुरबानी की दुआ हिंदी में

जब कोई भी क़ुरबानी का जानवर ज़बह करे तो उसे ये दुआ पढ़नी चाहिए।

अगर क़ुरबनी अपनी तरफ़ से करे तो ये पढ़े

बिस्मिल्लाह, अल्लाहु अकबर, अल्लाहुम्मा तक़ब्बल हाज़ा मिन्नी

तर्जुमा: ए अल्लाह के नाम से और अल्लाह बहुत बड़ा है, ए अल्लाह ये मेरी तरफ़ से क़बूल फार्मा।

और अगर क़ुरबानी दूसरे की तरफ़ से कररहा हो तो उसका नाम लेना चाहिए। निचे दुआ देखे

बिस्मिल्लाह, वल्लाहु अकबर, अल्लाहुम्मा तक़ब्बल हाज़ा मिन ज़ैद

तर्जुमा: और अल्लाह के नाम से और अल्लाह बहुत बड़ा है, ए अल्लाह ये ज़ैद की तरफ़ से क़बूल फ़रमा

नोट: इस में हमने ज़ैद का नाम लिया है यानि ये क़ुरबानी ज़ैद की तरफ़ से कररहे इसीलिए आप जिसकी तरफ़ से करना चाहते है उसका नाम ले।

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Qurbani Ki Fazilat Aur Qurbani Ki Dua Hindi Me

क़ुरबानी Qurbani Ki Dua हदीस 1: हज़रात अनस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत क्या है के उन्हों ने बयान क्या के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपने हाथ से सींगों वाला कला और सफ़ेद मेंढे जिन में सफ़ेदी ज़ियादा थी अपने हाथ से ज़बह किये बिस्मिल्लाह, आल्लाहु अकबर कहा और अपनी टांग उन की गर्दन पर रखी

[सही मुस्लिम 1966]

क़ुरबानी Qurbani Ki Dua हदीस 2: हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा बयान करती है के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक सींगों वाला मेंढा लाने का हुकुम दिया तो वह लाया गया ताके इस की क़ुरबानी करें, तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा से फ़रमाया : छुरी लाओ, फ़िर फ़रमाने लगे इसे पत्थर पर तेज़ करो (आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा कहती है) में ने ऐसा ही क्या फ़िर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने वह छुरी ले ली और मेंढे को पकड़ कर लेटाया और उसे ज़बह करते हुए कहने लगे: बिस्मिल्लाह, ऐ अल्लाह मुहम्मद और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की आल और उम्मते मुहम्मदिया की जानिब से क़ुबूल कर फ़िर उसे ज़बह करदिया

(सही मुस्लिम 1967)

क़ुरबानी Qurbani Ki Dua हदीस 3: जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं के: में ईदगाह में ईदुल अज़हा के दिन नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ हाज़िर था, जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम खुत्बा ईद से फ़ारिग़ हुए तो अपने मिंबर से उतरे तो एक मेंढा लाया गया जिसे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने हाथ से ज़बह क्या और कहा: बिस्मिल्ला वल्लाहु अकबर यह मेरी और मेरी उम्मत में से उस की जानिब से है जिस ने क़ुरबानी नहीं की।

(सुनन तिर्मिज़ी 1521)

एक मसला
सुन्नते नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से साबित है के कोई भी क़ुरबानी करना चाहे और उसका इरादा हो तो चाँद नज़र आने के बाद क़ुरबानी ज़बह करने तक उसे अपने बाल और नाख़ून वगैरा नहीं कटवाने चाहिए।

Qurbani (क़ुरबानी) Me Kitne Hisse Dar Shareek Hosakte Hai

गाए या ऊँट में सात (7) हिस्सा दार शरीक होने कि शरई गुंजाईश मौजूद है

इमाम मुस्लिम रहमहुल्लाह ने जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है वह बयान करते हैं के:

हम ने हुदैबिया में रसूल करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ एक ऊँट और एक गाए सात (7) सात (7) अफ़राद कि जानिब से ज़बह कि थी।

(सहीह मुस्लिम 1318)

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